Monday, April 30, 2007

भारतीय युवा पीढ़ी !

आज का युवा

कालेज में आने के बाद, दिल में उठी ये आवाज़,
बेटा यहाँ से पढ़ के जाना है सारी दुनिया को कुछ कर दिखाना है,

इसी उधेड़बुन में पहुंचे हम क्लास में,
क्लास मई पढ़ाई कि बात जो कि शुरू, मिल गया हमें हमारा गुरू,
उसने हमें बुलाया, अपने पास बिठाया,
बोला: अभी नया नया आया लगता है,
तभी पढ़ाई कि बात करता है, क्या ज़िन्दगी से इतना डरता है,

मेरी शरण में आ जा तो कुछ बन जाएगा,
और एक क्लास में अगर दो-चार साल भी ना रहा,
तो कोर्स क्या ख़ाक समझ पायेगा,

सामने से आ रही थी एक सुन्दर कन्या,
उसने उसे बुलाया, मेरे पास बिठाया, और बोला:
इन्हें देख रहे हो ? ये हामारी मिस कालेज हैं,
और वो दूर जो दीवानों के हाथ में हो दीख रह है न
वो इनका ही लगेज है,

पूछो इनसे, की उनमें से किसके साथ इनकी लाइफ फीट हैं,
वो बोली, तू तो बड़ा स्तुपिद है,

अरे ! ये सब तो कालेज आने का एक बहाना है,
बन के दुल्हन एक दिन हमें, इनके घर थोड़े ही जाना है

सुन कर मैं हुआ हैरान,
कितना बदसूरत था सौंदर्य का यह ऐलान,
आज का युवा यह क्या सीख रहा हैं, उसे रूह का सौंदर्य क्यों नही दीख रहा है,
क्यों बिछा रहे हैं ये जज्बातों कि लाश, क्या हर रिश्ता ही हैं इनके लिए टाई म - पास,
तभी एक रोशनी ने आकर मुझे जगाया, मई ख्वाब से हक़ीकत में आया,
तब पता चला की ये सब एक सपना था, पर ना जाने क्यों आज भी ये लगता है,
की वो समाज जो मैंने सपने में देखा था, वो समाज मेरा अपना था,
मेरा अपना था,
मेरा अपना था

1 comment:

Vinod said...

who is that sundar kanyaaa ??